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मोदी सरकार द्वारा रफ मार्बल ब्लॉक आयात को किया गया लाइसेंस मुक्त

Updated: January 11, 2017 12:23 pm

देश में रफ मार्बल आयात पर पिछले 25 वर्षों से लाइसेंस लगा था और लाइसेंस प्राप्त करने की गैर-व्यवहारिक शर्तों के कारण केवल चुनिंदा Marble Giants का इस व्यवसाय पर आधिपत्य कायम था, छोटे आयातकों को या तो लाइसेंस grey market से Premium देकर खरीदना पड़ता था, या मजबूरन तैयार माल आयात करना पड़ता था, इससे black money का प्रसार होता था। एवम “Value Addition” का लाभ विदेशों को जाता था और हमारे देश का मार्बल उद्योग पनप नहीं पा रहा था।

इस पक्षपात पूर्ण लाइसेंस प्रथा को समाप्त करवाने का बीड़ा उठाते हुए श्री प्रवीण गोयल (चेयरमैन आयात समिति DMDA) ने 2.5 साल संघर्ष कर सरकार के मंत्रियों को convince कर आखिर 17 सितम्बर 2016 मोदी जी के जन्मदिवस के दिन सफलता प्राप्त की, जब वाणिज्य मंत्रालय ने इनके सुझावों को देश एवं उद्योग हित में मानते हुए नीति में बदलाव करते हुए रफ मार्बल आयात को ओजीएल किया इसीलिए मार्बल उद्योग के लोग प्रवीण गोयल को #OGL-baba एवम ”मांझी- द माउंटेन मैन” फॉर मार्बल उद्योग के नाम से संबोधित करने लगे हैं।

25 साल से चली आ रही लाइसेंस प्रथा को समाप्त कर पायेंगें आपको यह प्रेरणा कैसे जगी?

मैं अर्थशास्त्र में रूचि रखता हूं और अध्ययन करता रहता हूं हमारे देश में आदरणीय मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद जिस तरह से अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए ”पब्लिक पार्टीसिपेशन इन गर्वन्मेंट पॉलिसी मेकिंग” को महत्व मिला एवम Namo App एवम टिवट्र पर भी देशवासियों की शिकायतों का समाधान होने लगा। इससे मुझमे आशा जगी कि यह सही सरकार है जो राष्ट्रहित का काम जरूर करेगी।

आप नीति बदलाव को लेकर किस-किस मंत्री से मिले-उनका सहयोग एवम अनुभव कैसा रहा?

मिलने वाले मंत्रियों में वाणिज्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन जी, वित्तमंत्री श्री अरुण जेटली, श्री अर्जुन राम मेघवाल, श्री संतोष गंगवार, श्री श्याम जाजू, श्री सुब्रमण्यम स्वामी, श्री गजेंद्र शेखावत प्रमुख नाम हैं, सभी से मिलने का अनुभव बहुत ही अद्भुत रहा, सभी ने हमें पूरा समय दिया, हमारे विषय को ध्यान से समझा और हमारे सुझावों को जायज बताते हुए आश्वस्त किया कि आपकी मांग हमारी सरकार के विजन के अनुरूप है। एक मंत्री जी का व्याखान – पिछली सरकार की गलत नीतियों के वजह से जो लोगों को गलत तरीके अख्तियार कर काम करना पड़ रहा था, हमारा ध्येय हम उन्हें समाप्त कर, लोगों को राष्ट्र की मुख्यधारा में लायेंगें और उन्हें कानूनी रूप से काम करने के लिए प्रेरित करें।

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आप ‘नीति निर्धारण’ विभाग के अधिकारियों से भी मिले होंगे, उनकी कैसी प्रतिक्रिया थी?

नीति निर्धारण से सम्बंधित डीजीएफटी, नीति आयोग के हर अधिकारी से मैं मिला, सभी ने पर्याप्त समय देते हुए हमारे सुझाव को समझा।

मैडम रीता तिओतिया (वाणिज्य सचिव) ने आश्वक्त किया -आपका सुझाव देशहित में है, सरकार पर विश्वास रखिये।

श्री अमिताभ कान्त (अध्यक्ष नीति आयोग) ने आश्वक्त होने के बाद कि हमारी वांछिक नीति बदलाव से रोजगार के अवसर बढ़ेंगें तथा उपभो1ता को माल सस्ता मिलेगा, तुरंत अपनी सिफारिश वाणिज्य मंत्रालय भेजी।

आप सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव हैं, इस नीति में सुधार के लिए 2000 से ज्यादा  टिवट्स कर, उद्योग मंत्री एवम डीजीएफटी अधिकारियों पर आरोप भी लगाए तथा नमो एप के जरिये मोदीजी और उनके मंत्रियों को सुझाव-शिकायतें भी लिखी।

आपने संपूर्ण सत्य सुना है क्योंकि मैंने जब देखा कि वाणिज्य मंत्रालय अपनी टिवट्र हैंडल प्तद्वशष्द्बह्यद्ग1ड्ड पर दिन-रात देशवासियों की समस्या का समाधान कर रही है तो मैंने भी बहुत टिवट्स किये। आरोपों का कारण- जब पॉलिसी बदलाव में काफी समय लग रहा था (जो कि हमारे पक्ष में गया) तो हमारे धैर्य खोने की वजह से लिखना पड़ा – जिसके लिए मैं वाणिज्य मंत्री एवम डीजीएफटी अधिकारियों से क्षमाप्रार्थी हूं, जिन्होंने हमारे आरोपों को सहन करते हुए भी हमें समय भी दिया और हमारे राष्ट्रहित -सुझाव अनुरूप नीति में बदलाव किया।

लोगों का कहना है कि आपकी सरकार में ऊपर तक पहुंच है और इस नीति में बदलाव के लिए मोदीजी से भी भेंट की?

आपका पहुंच वाला आरोप निराधार है, मेरी मोदीजी के प्रति सच्ची भावना इस राष्ट्रहित के विषय को लेकर उनसे मिलने की दिल से इच्छा की बदौलत ही मुझे 6 अगस्त 2016 को  #My Day At My Gov टाउन हॉल, इंदिरा गांधी स्टेडियम, दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में अपना अनुभव साझा करने पर मेरा प्रथम चयन हुआ और मुझे डायरेक्ट इंटरेन्ट बिद श्री मोदी जी का सौभाग्य मिला।

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नीति सुधार के लिए आपको किन-किन संस्थाओं का सहयोग मिला? और उनके योगदान को आप कैसे आंकते हैं?

मेरे इस संघर्ष को सफल करने में चार संस्थाओं के पदाधिकारियों ने अमूल्य सहयोग दिया जिनके सहयोग के बिना इस बड़े नीति बदलाव का संभव होना नामुमकिन था उसके लिए मैं मेरी दिल्ली मार्बल की आयात समिति के सदस्य श्री महेश रांदड़, संजय सिंघल, सुमित अग्रवाल एवम, स्वदेशी जागरण मंच, लघु उद्योग भारती एवम कंर्फडेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) का तह दिल से शुक्रगुजार हूं।

मार्बल का मुख्य उत्पादक राज्य राजस्थान है जहां छोटी-बड़ी मिलाकर 538 प्रोसेसिंग इकाई है आपको नहीं लगता इस नीति बदलाव से अन्य राज्य के खरीदार आने बंद हो जायेंगें और राजस्थान राज्य के मार्बल उद्योग पर बुरा प्रभाव पड़ेगा?

यह संशय ठीक नहीं है केवल चुनिंदा फैक्टरियां जो केवल कागजों में दिखावे के लिए लाइसेंस प्राप्त करने के लिए काम कर रही थी वह बंद होंगी जिनका व्यापार, रोजगार, अर्थव्यवस्था से कोई सरोकार नहीं है इसके अलावा राजस्थान एवं देश के अन्य भागों में सैंकड़ों की तादाद में नई इकाइयां लगेगी, और रोजगार के अनेकों अवसर पैदा करते हुए उपभोक्ता को माल सस्ता मिलेगा मेरा दावा है इस नीति सुधार से राजस्थान राज्य में ‘आयातित मार्बल का व्यवसाय बढेगा’- मार्बल उद्योग की दशा एवम दिशा में सुधार होते हुए राजस्थान राज्य के मार्बल व्यवसाय में जान डालते हुए चार चांद लगेंगें।

क्या इस बदलाव से सरकार के ‘सबको समान अवसर’ तथा Pro-Poor Benefit’ का उद्देश्य पूर्ण होगा?

अवश्य पूर्ण होगा क्योंकि इस खुली नीति से व्यापार का विकेन्द्रीयकरण होते हुए, संपूर्ण भारत के आयातकों को समान अवसर मिल पायेगा संपूर्ण भारत वर्ष में औद्योगीकरण होगा जिससे माल ढुलाई के खर्च में कमी आते हुए उपभोक्ता को माल सस्ता मिलेगा तथा ग्रामीण इलाकों के अकुशल मजदूरों को रोजगार मिलेगा, मैं  मोदीजी को ‘मन की बात’ में सुझाव भेजता रहता हूं एक बार मैंने लिखा कि देश की नीतियां ऐसी बने जो एकाधिकार को समाप्त करते हुए – जिसका लाभ देश के छोटे से छोटे वर्ग तक पहुंचे, उसी महीने ‘मन की बात’ में मोदीजी ने इस विषय को लेते हुए  बोला- ‘समानता और समान अवसर – मूल मंत्र’ – और इस नीति को लाइसेंस मुक्त कर मोदी सरकार ने सिद्ध कर दिया कि अब देश की आने वाली नीतियों में सबको समान रूप से अवसर मिलेगा।

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इस नीति बदलाव से देश उद्योग एवं उपभोक्ता को प्रमुख क्या क्या लाभ होंगें?

यह नीति सुधार देश के मार्बल उद्योग के लिए बड़ा ‘मील का पत्थर’ साबित होते हुए नई इबारत लिखेगा जिसमे सभी छोटे और बड़े उद्यमियों को समान अवसर प्राप्त होंगें देश में इंडस्ट्राईलिजेशन को बढ़ावा मिलेगा तैयार माल के आयात पर अंकुश लगेगा ‘मेक इन इंडिया’ को बल मिलेगा जिससे ‘वैल्यू एडीशन’ का लाभ हमारे देश को मिलेगा। ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बढ़ावा मिलते हुए नौकरशाही पर लगाम लगेगी। काले धन के प्रसार पर रोक लगेगी एवम भ्रष्टाचार एवम अन्य व्यापारिक मालप्रैक्टिसजेज पर लगाम लगेगी। ‘लेवल प्लेइंग फील्ड’ होगी जिससे उपभोक्ता को माल सस्ता होगा एवम हम अंतराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा कर पुन: निर्यात कर पायेंगें और मोदीजी के सपनों का भारत – ‘सुगम्य भारत सुदृढ़ भारत’ का निर्माण होगा।

आपको क्या लगता है इस नीति में सभी सुधार हो चुके हैं?

नहीं, अभी पूर्ण पारदर्शिता के लिए कस्टम ड्यूटी का कम करना एवं MIP को  हटाना आवश्यक है सरकार ने SIT on black money की  सिफारिश  से MIP #325 से हटा कर MIP # 200 प्रति टन कर दी है, लेकिन यह प्रयाप्त नहीं है वास्तव में पूर्ण पारदर्शिता के लिए रूढ्ढक्क का हटना ही उचित रहेगा क्योंकि अगर किसी आयातक को Bulk buying की वजह से मार्बल सस्ता  मिल रहा होगा तो नियंत्रित रूढ्ढक्क के चलते उसे मजबूरन गलत तरीके अख्तियार करने  होंगे इसी  तरह से महंगे मार्बल को आयातक ऊंची 40% Custom duty से बचने के लिए Misdeclaration कर माल लाने की कोशिश कर सकते हैं अत: MIP को हटाकर, कस्टम ड्यूटी को कम कर – Tariff measures लगाने  से पारदर्शिता भी बढ़ेगी और सरकार को राजस्व का नुकसान भी नहीं होगा तथा ‘मेक इन इंडिया’ को बल मिलेगा।

नोट बंदी के फैसले पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

राष्ट्रहित में लिया गया क्रांतिकारी साहसिक कदम जिससे देश में हो रही अनेक अनियमितताओं पर लगाम कसते हुए अनेकों दूरगामी लाभ होंगें और भारत देश विश्व जगत की आर्थिक-महाशक्ति बनने की नींव रखेगा।

हालांकि, अल्पसमय में अर्थव्यवस्था में बड़ी उथल-पुथल होते हुए, रफ्तार धीमी होगी, जिसकी भरपाई के लिए सरकार कठोर परिश्रम कर रही है, अगर GST लागू होने के बाद नोटबंदी होती तो सरकार को मेहनत भी कम करनी पड़ती एवेम उद्देश्य सफलता भी ज्यादा मिलती।

व्यापारियों को होंगे दूरगामी लाभ- कैश लेनदेन के झंझट से मुक्ति मिलेगी, भ्रष्टाचार में कमी होते हुए नौकरशाह पर लगाम लगेगी , कंप्लायंस बढऩे से टैक्स भार में कमी आएगी, महंगाई दर काबू में होने एवं बैंक में तरलता बढऩे की  वजह से ब्याज दरों में कमी आएगी एवेम चिंता मुक्त व्यापार होगा।

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सरकार के डिजिटल पेमेंट प्रोत्साहन को आप कैसे आंकते हैं?

देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए अति आवश्यक प्रयत्न है, डिजिटल पेमेंट से कैश के प्रसार में उल्लेखनीय कमी होते हुए लेन-देन  पारदर्शी होगा, जिससे एक ओर काला धन एवं भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी वहीं दूसरी ओर अनुपालन बढऩे से ज्यादा से ज्यादा लोगों को फॉर्मल इकॉनमी में लाया जा सकेगा और सबसे अत्यंत आवश्यक हमारे देश की विरोधी ताकतें जो देश में नकली मुद्रा सप्लाई का रैकेट चलाकर हमारी अर्थव्यवस्था की सेंधमारी कर रही है, और आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है, नकदी के प्रसार में कमी आने से उन पर उपयुक्त चेक रखते हुए, रोक लगेगी।

इनकम टैक्स- IDS-II scheme को कितना कारगर मानते हैं।

सरकार की सराहनीय स्कीम ‘राष्ट्र की मुख्य धारा’ में लाने का हर भरसक प्रयत्न, काला धन रखने वालों को भी एक और आखिरी मौका, -चूकना नहीं चाहिए, इस स्कीम के तहत दिया गया टैक्स ‘खर्च होगा गरीबों के कल्याण पर’।

देशवासियों को कोई सन्देश देना चाहेंगें?

अब हमारे देश में ऐसी सरकार है जो हर क्षण देश एवम देशवासियों का चिंतन करती है और उनके सुख एवम तरक्की के लिए कार्य करना चाहती है  ”सोच बदलो देश बदलो – मेरा देश बदल रहा है- आगे बढ़ रहा है’’ देशवासी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करे। सरकार के नीति-निर्धारण में देश की उन्नति के लिए अपने सुझाव भेजें, सक्रिय रहें ताकि ‘कुशल भारत-कौशल भारत’ का स्वप्न साकार हो।

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